रविवार, 16 मार्च 2014

Ghar kharidte samay dhyan rakhen. घर खरीदने से पहले ध्यान रखें Be aware before buying home.

जिस जमीन पर प्रॉपर्टी डेवलप की जानी है, उसके लैंड यूज का पता लगाएं। लाइसेंस में लैंड यूज की जानकारी दी जाती है। यह देखें कि इस पर रेजिडेंशियल या कमर्शियल प्रॉपर्टी, फ्लोर या प्लॉट डेवलप करने की इजाजत दी गई है।


कई बार डेवलपर्स लैंड एक्विजिशन पूरा होने से पहले ही अपार्टमेंट बेचने लगते हैं। बाद में लैंड एक्विजिशन में दिक्कत आने पर आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। मान लीजिए कि किसी डेवलपर ने 80 फीसदी तक जमीन खरीद ली है और बाकी बची हुई 20 फीसदी जमीन पर विवाद हो जाए, तब क्या होगा? संभव है कि आपका टावर उसी 20 फीसदी वाले लैंड पर डेवलप किया जाना हो। तब आप क्या करेंगे?

डेवलपर से लैंड ओनरशिप साबित करने वाले पेपर की मांग करें। हर प्लॉट का खसरा नंबर होता है। बिल्डर से खसरा नंबर मांगकर उसकी जांच कराएं। आप टाइटल सर्च के लिए एक वकील अप्वाइंट कर सकते हैं। वह उस लैंड से जुड़े किसी कानूनी विवाद की जानकारी भी जुटा सकता है।

डेवलपर से लाइसेंस मांगें। इससे टाउन प्लानिंग अथॉरिटी से प्रोजेक्ट डेवलप करने की मंजूरी का पता चलता है। हर लाइसेंस का खास नंबर होता है। डेवलपर्स को अपने विज्ञापन में लाइसेंस नंबर प्रिंट कराना चाहिए। यह भी जानकारी जुटाएं कि डेवलपर ने बिल्डिंग प्लान, पानी, पर्यावरण और प्रदूषण के साथ हाइट क्लीयरेंस ली है? क्लीयरेंस नहीं होने पर कई बार डेवलपर अगले छह महीने में अप्रूवल हासिल करने का वादा करते हैं। प्रोजेक्ट में देरी की सबसे बड़ी वजह क्लीयरेंस नहीं मिलना है।

एप्लिकेशन फॉर्म में पेमेंट प्लान की शर्तों पर ध्यान दें। क्या बिल्डर ने कंस्ट्रक्शन के शुरुआती फेज में भी अपार्टमेंट कॉस्ट का बड़ा हिस्सा मांगा है? आप कंस्ट्रक्शन लिंक्ड पेमेंट प्लान को चुनें। कई डेवलपर्स पजेशन के बाद पेमेंट का बड़ा हिस्सा मांगने का दावा करते हैं। इस तरह के प्लान बायर्स के लिए ठीक होते हैं।  ज्यादा

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