मंगलवार, 9 जून 2015

इंटरनेट क्रांति में भारत तीसरे नंबर पर

मोबाइल फोन पर इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के चलते इस साल के अंत तक भारत में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 30ण्2 करोड़ का स्तर छू जाने की संभावना है। इससे भारत अमेरिका को पछाड़ते हुए विष्व का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट बाजार बन जाएगा। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया और आईएमआरबी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक,
इस साल के अंत तक भारत में इंटरनेट उपयोक्ताओं की संख्या 32 प्रतिशत बढ़कर 30ण्2 करोड़ पर पहुंचने की संभावना है जो पिछले साल दिसंबर में 21ण्3 करोड़ थी। रिपोर्ट के मुताबिक, जून, 2015 तक देश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर 35ण्4 करोड़ पर पहुंचने का अनुमान है।
वर्तमान में, भारत इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या के लिहाज से विष्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है। वर्तमान में, 60 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपभोक्ताओं के साथ चीन पहले पायदान पर है, जबकि 27ण्9 करोड़ उपभोक्ताओं के साथ अमेरिका दूसरे पायदान पर है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने इंटरकनेक्ट शुल्क की समीक्षा की प्रक्रिया शुरू की है। एक दूरसंचार आपरेटर द्वारा दूसरे सेवा प्रदाता की नेटवर्क कॉल को पूरा करने के लिए जो भुगतान किया जाता है, उसे इंटरकनेक्ट शुल्क कहा जाता है। ट्राई ने 2003 में पहली बार इंटकनेक्ट यूसेज चार्ज की रूपरेखा तय की थी। उसके बाद 2006 व 2009 में इस शुल्क में संशोधन किया गया। मौजूदा आईयूसी व्यवस्था को 2009 में अधिसूचित किया गया था। फिलहाल मोबाइल कॉल टर्मिनेशन शुल्क स्थानीय व राष्ट्रीय लंबी दूरी की कॉल के लिए 20 पैसे प्रति मिनट है। इसका मतलब है कि एक दूरसंचार कंपनी को जिस कंपनी के नेटवर्क पर कॉल की गई है, को आईयूसी का भुगतान करना होगा। इनकमिंग अंतरराष्ट्रीय लंबी दूरी की कॉल्स के लिए टर्मिनेशन शुल्क 40 पैसे प्रति मिनट है। ट्राई ने आईयूसी पर परामर्श पत्र जारी कर इन विभिन्न मुद्दों पर अंशधारकों के विचार मांगे हैं। इसमें शुल्क व्यवस्था के लिए अपनाए जाने वाला रुख, मोबाइल टर्मिनेशन लागत का अनुमान लगाने का तौर तरीका और अंतरराष्ट्रीय टर्मिनेशन शुल्क का उचित स्तर शामिल हैं। नियामक ने पिछली समीक्षा में इंटरकनेक्ट शुल्क घटाया था।

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